Poem by
देवनाथ ठाकुर (भारतीय)
हमारी बुरी आदत, बिगाडी दुनिया की हालत !
जय जगत कहो, जय जगत कहो, जय जगत कहो सभी भाई
आपस में मिल- जुलकर रहना, करना नहीं लडाई ||
कोरोना से सब सबक सिखो, अब भी आओ होश में
जाति - वर्ण - मजहब के पीछे क्यों रहते बदहोश में ||
"तब क्या करे "
आओ आदिम सबक सीखो, दुनिया के आदिम एक हो।
आदिम का औलाद है आदिम, चाहे देश अनेक हो।।
कोरोना से ही सबक सीखो सब, लगता दुनिया सब एक हो।
उसी तरह रहना सब सीखे, जिनका सही विवेक हो।।
"अब ऐसा करो "
जय जगत कहो, जय जगत कहो, दुनिया के आदिम भाई हो।
आदिम के औलाद है आदिम, दुनिया के आदिम भाई हो।।
कुदरत ने तो नहीं बनाया, मुस्लिम - हिन्दू भाई हो।
कुदरत से हिरफत हम करके, किया आदिम को जुदाई हो।।
"अब क्या समझें"
अब भी समझो होश करो, हिन्दू - मुस्लिम भाई हो।
खत्म करो हरकत सब अपना, दुनिया के आदिम भाई हो।।
अपना "आदिम धर्म" अपनाओ, आदिम हैं जितने भाई हो।
तोड़कर हरकत बाजी जूमला, कुदरत से करो मीताई हो।।
देवनाथ का कामना है सबसे, जितने हैं आदिम भाई हो।
फ़र्ज़ अदा करना है सबको, छोड़ आदत बुराई हो।।
देवनाथ ठाकुर (भारतीय)
आदिम धर्म धारक
ग्राम - जम्हैता, थाना - फतेहपुर, जिला - गया, बिहार
संशोधककर्ता,
मनीष रंजन एवं हाकिम सिंह
जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय
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